Veerbala Kalibai Panorama Dungarpur – शहीद वीरबाला कालीबाई पेनोरमा
राजस्थान के वागड़ अंचल में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शिक्षा और सामाजिक चेतना की अलख जगाने वाले भोगीलाल पंड्या द्वारा स्थापित सेवा संघ के माध्यम से आदिवासी समाज में जागरूकता फैलाई जा रही थी। (Veerbala Kalibai Panorama Dungarpur)

19 जून 1947 को रास्तापाल गांव में सेवा संघ की पाठशाला को बंद कराने पहुंचे अफसरों और पुलिस द्वारा किए गए निर्मम हमले में शिक्षक नाना भाई खांट की मौके पर ही मौत हो गई और सैंगा भाई को रस्सी से बांधकर पूरे गांव में घसीटा गया।

12 वर्षीय नन्ही बालिका कालीबाई ने यह अत्याचार देखा तो वह अपने गुरुजी को बचाने के लिए जीप के पीछे भागी।
- उसने घास काटने की दांतली से रस्सी काट दी, जिससे सैंगा भाई को आज़ादी मिल गई।
- इससे क्रोधित सिपाहियों ने कालीबाई पर गोलियां चला दीं और वह वहीं धराशायी हो गई।
- यह खबर मारू-ढोल की आवाज से पूरे अंचल में फैल गई और हजारों भील हथियार लेकर पहुंच गए।

21 जून 1947: कालीबाई की शहादत
- कालीबाई को घायल अवस्था में डूंगरपुर अस्पताल लाया गया, लेकिन वह 21 जून को शहीद हो गई।
- उसी दिन डूंगरपुर के गेपसागर के पास गागली नदी के किनारे, हजारों आदिवासियों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया।
कालीबाई पेनोरमा – डूंगरपुर की ऐतिहासिक धरोहर
राज्य सरकार द्वारा मांडवा गांव (घाटी तालाब के सामने) वीरबाला कालीबाई की स्मृति में एक भव्य पेनोरमा का निर्माण करवाया गया है।

प्रमुख विशेषताएं:
- प्रवेश द्वार पर कालीबाई की दांतली लिए आदमकद प्रतिमा (काले पाषाण से निर्मित)।
- डार्क पैसेज जिसमें दीवारों पर जनजातीय आंदोलनों और नेताओं की कलाकृतियां चित्रित।
- डायमंड आकार का ओपन हॉल, जो दर्शकों को एक संग्रहालय जैसा अनुभव देता है।
- दो गोल कक्ष – एक में कैफेटेरिया, दूसरे में ऑडिटोरियम।
- प्रदर्शनी हॉल – कालीबाई के जीवन और बलिदान से जुड़ी झांकियां और दृश्य दर्शाए गए हैं।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. वीरबाला कालीबाई कौन थी?
Ans: डूंगरपुर जिले की रास्तापाल गांव की 12 वर्षीय छात्रा, जिसने 1947 में अपने शिक्षक को बचाते हुए शहादत दी।
Q2. कालीबाई की पेनोरमा कहां स्थित है?
Ans: ग्राम पंचायत मांडवा, डूंगरपुर में घाटी तालाब के सामने।
Q3. पेनोरमा में क्या-क्या देखने योग्य है?
Ans: प्रतिमा, चित्रित दीवारें, झांकियां, कैफेटेरिया, ऑडिटोरियम और शहीद प्रदर्शनी हॉल।
Q4. कालीबाई का बलिदान कब हुआ था?
Ans: 21 जून, 1947 को।