डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा कस्बे में स्थित चतुर्मुख गमरेश्वर महादेव मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है। इस मंदिर की विशेषता इसका चार मुख वाला शिवलिंग है, जो इसे अन्य शिव मंदिरों से अलग बनाता है। यह मंदिर न केवल अपनी वास्तुकला के लिए बल्कि इसके अद्वितीय धार्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है।
शिवलिंग की विशेषता
आमतौर पर शिवलिंग अंडाकार होते हैं, लेकिन गमरेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग चतुर्मुख और आयताकार है। इसे चार कोनों वाला शिवलिंग कहा जाता है, इसलिए इसे चतुर्मुख गमरेश्वर महादेव भी कहा जाता है। इस शिवलिंग के चार मुख चार युगों (सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग), चार वेदों (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, और अथर्ववेद) और चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र) के प्रतीक माने जाते हैं। यह अनोखा स्वरूप दर्शाता है कि सभी युगों और वर्णों में महादेव की उपासना होती रही है।
मंदिर का स्थापत्य
चतुर्मुख गमरेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। इस शैली की विशेषता इसकी अद्वितीय वास्तुकला और मूर्तियों में दिखाई देती है। गर्भगृह के बाहर भगवान गणेश की दो मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो भक्तों का स्वागत करती हैं। गर्भगृह के सामने काले चमकीले पाषाण की नंदी की प्रतिमा भी है, जो शिवभक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
गमरेश्वर महादेव का मंदिर सागवाड़ा कस्बे की सीमा पर स्थित है और इसे नगर के रक्षक के रूप में माना जाता है। मंदिर के पूर्व में गमरेश्वर तालाब और पश्चिम में श्मशान घाट स्थित है। यह स्थान अपने आप में अद्वितीय है क्योंकि श्मशान घाट और मंदिर एक दूसरे से सटे हुए हैं, जो इस स्थल की रहस्यमयता और अद्वितीयता को और बढ़ा देता है।
पंडित जयदेव शुक्ला और पुजारी रमेश सेवक के अनुसार, पहले इस क्षेत्र में घना जंगल था और यहाँ वेदपाठी विद्वान ब्राह्मण चातुर्मास करते थे। भुताजी की बावड़ी से नियमित रूप से कावड़ से जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक किया जाता था। मंदिर में नाथ संप्रदाय की एक जागृत धुणी भी है, जिसे हेतनाथजी महाराज ने वर्षों पूर्व स्थापित किया था।
धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन
मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना होती है और विशेष अवसरों पर धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन किए जाते हैं। महाशिवरात्रि, सावन के सोमवार, और अन्य धार्मिक पर्वों पर भक्तों की भारी भीड़ यहाँ उमड़ती है। मंदिर परिसर में भक्तजन भजन-कीर्तन और आरती में भाग लेकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
मंदिर तक कैसे पहुंचे
- स्थान: चतुर्मुख गमरेश्वर महादेव मंदिर, सागवाड़ा, डूंगरपुर, राजस्थान।
- निकटतम रेलवे स्टेशन: डूंगरपुर रेलवे स्टेशन।
- निकटतम हवाई अड्डा: महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, उदयपुर।
- सड़क मार्ग: सागवाड़ा राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। स्थानीय परिवहन के साधन जैसे बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।
चतुर्मुख गमरेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनोखी स्थापत्य कला, धार्मिक महत्व और रहस्यमयता के कारण पर्यटकों और भक्तों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव प्रदान करती है बल्कि राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर करती है। अगर आप डूंगरपुर की यात्रा पर हैं, तो इस अनोखे मंदिर की यात्रा अवश्य करें और इसकी विशेषताओं का अनुभव करें।