moran river front

मोरन रिवर फ्रंट: वागड़ का नया स्वर्ग

डूंगरपुर जिले के खड़गदा गांव में मोरन नदी (Moran River) के तट पर एक भव्य रिवर फ्रंट (River Front) का निर्माण किया जा रहा है, जो गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट (River Front) की तर्ज पर विकसित हो रहा है।

यह परियोजना (moran river front: वागड़ का नया स्वर्ग) न केवल जल संरक्षण का एक आदर्श उदाहरण है, बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी बन रही है।


जनसहयोग से बना अनूठा प्रोजेक्ट

यह रिवर फ्रंट पूरी तरह से जनसहयोग से बनाया जा रहा है।

2 हजार मीटर लंबे और 500 मीटर चौड़े इस फ्रंट पर अब तक 2.5 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।

इस अद्भुत प्रोजेक्ट के लिए 28 दिसंबर से 5 जनवरी तक 9 दिवसीय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है, जिससे और फंड जुटाया जाएगा।


मोरन नदी का ऐतिहासिक महत्व

मोरन नदी खड़गदा गांव की परिक्रमा करती है और इसका आकार शिवलिंग के समान है।

गांव के प्रमुख तीर्थ क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर भी इसी नदी के भाल पर स्थित है।

सिंचाई और पेयजल के लिए यह नदी वागड़ क्षेत्र की लाइफलाइन है।


नदी पुनरुद्धार की प्रेरणा

अवैध खनन और प्रदूषण के कारण मोरन नदी की स्थिति दयनीय हो गई थी।

प्रसिद्ध कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री ने इस स्थिति को देखकर नदी पुनरुद्धार का संकल्प लिया।

उनकी पहल पर पूरे गांव ने मिलकर नदी की सफाई शुरू की।

8 महीने में नदी का पूरा स्वरूप बदल गया और जहां पहले कूड़ा-कचरा था, वहां अब बोटिंग की तैयारी की जा रही है।


रिवर फ्रंट की विशेषताएं

आकर्षक पाथवे: नदी किनारे 20 फीट चौड़ी सड़कें बनाई जा रही हैं, जिन पर फलदार और छायादार पेड़ लगाए जाएंगे।

रोशनी और सुरक्षा: क्षेत्र में रोड लाइट्स और सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की जा रही है।

भव्य राम मंदिर: रिवर फ्रंट पर भव्य राम मंदिर बनाया जाएगा, जिसमें भगवान राम के वनवास काल की प्रतिमा स्थापित होगी।

गौशाला और अस्पताल: रिवर फ्रंट के किनारे एक गौशाला, अस्पताल और स्कूल का भी निर्माण किया जाएगा।


सबसे बड़ा कुआं

मोरन नदी के तट पर प्रदेश का सबसे बड़ा कुआं बनाया गया है, जिसकी चौड़ाई 65 फीट और गहराई 45 फीट है।

इस कुएं की भराव क्षमता 40 लाख लीटर है, जो क्षेत्र के जल संकट को दूर करेगा।


सामाजिक समरसता का संदेश

यह परियोजना केवल भौतिक संरचना नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का एक प्रयास है।

कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में पूरा गांव एकजुट होकर इस परियोजना को सफल बना रहा है।


भविष्य की योजना

मोरन नदी के पुनरुद्धार के बाद, इस परियोजना को अन्य गांवों में भी लागू किया जाएगा।

यह प्रोजेक्ट न केवल वागड़ क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे राजस्थान के लिए प्रेरणादायक उदाहरण बनेगा।

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