Mandaviya hanuman mandir hadmatiya dungarpur

मांडविया हनुमान मंदिर, डूंगरपुर (Mandaviya Hanuman Mandir Hadmatiya Dungarpur)

डूंगरपुर जिले के पुनाली गांव से दक्षिण में 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मांडव पाल में स्थित मांडविया हनुमान मंदिर (Mandaviya Hanuman Mandir Hadmatiya Dungarpur) वागड क्षेत्र के सबसे चमत्कारिक और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है।

Mandaviya hanuman hadmatiya dungarpur

मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

गांववालों के अनुसार, मांडविया हनुमानजी की प्रतिमा एक पहाड़ से प्रकट हुई थी।

इसे धरियाधरा से मातरिया ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में मुली सलाय की पाल में स्थापित कर दिया गया।

इस प्रतिमा की स्थापना के पीछे गहरा धार्मिक विश्वास है, जिसे गांववाले आज भी बड़े श्रद्धा भाव से मानते हैं।

जब अंग्रेजों का शासन था, तब से ही गांव हड़मतिया बसाया गया है।

मांडविया हनुमान मंदिर का संचालन डूंगरपुर जिले के 9 आदिवासी चोखलौ द्वारा किया जाता है।

यह मंदिर जात-पात और भेदभाव से परे है और यहां सभी वर्गों और जातियों के लोग दर्शन और पूजा करने आते हैं।

यह सामाजिक समरसता और एकता का अद्भुत उदाहरण है।


मंदिर का जीर्णोद्धार और वास्तुकला

यह मंदिर अद्भुत कलाकृति के साथ बना है, जो भक्ति और पर्यटन का प्रमुख केंद्र है।

मंदिर का निर्माण जोधपुरी लाल पत्थरों से किया है, जो इसे विशेष बनाता है।

विशाल आकार और कलात्मक डिजाइनों के साथ यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि कला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।


धार्मिक आयोजन और मेले

मांडविया हनुमान मंदिर में हर शनिवार को विशाल मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

इसके अलावा, दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां एक विशाल मेला लगता है, जिसे हड़मतिया मेला कहा जाता है।

इस मेले में दो लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।


पौराणिक मान्यता

माना जाता है कि मांडविया हनुमान मंदिर के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

राजस्थान और गुजरात से बड़ी संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते हैं।

परमार वंश के भील समाज के लोगों की यहां गहरी श्रद्धा है।

यह मंदिर रामायण काल की अहीरावण की कहानी से भी जुड़ा हुआ है।

मान्यता है कि जब अहीरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया था, तब हनुमानजी ने पाताल लोक में जाकर राक्षसों का वध किया था।

इस प्रकार यह मंदिर पौराणिक महत्व भी रखता है।


मंदिर की विशेषताएं

  • स्थान: मांडव पाल, पुनाली गांव के पास, डूंगरपुर, राजस्थान
  • दूरी: पुनाली गांव से 6 किलोमीटर दक्षिण में
  • विशेष आयोजन: हर शनिवार मेला, दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा का विशाल मेला
  • प्रसिद्धि: मन्नतें पूरी करने वाला मंदिर, पौराणिक महत्व

मांडविया हनुमान मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह वागड क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।

यह मंदिर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

अगर आप डूंगरपुर की यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें और हनुमानजी की कृपा प्राप्त करें।