Udai Bilas Palace Dungarpur

History of dungarpur, rajasthan ( डूंगरपुर का इतिहास )

डूंगरपुर, जिसे ‘टाउन ऑफ हिलॉक्स’ (पहाड़ियों का नगर) भी कहा जाता है, राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। (History of Dungarpur)

यह नगर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक घटनाओं और भव्य महलों के लिए प्रसिद्ध है।

जिले का नाम पूर्व रियासत की राजधानी डूंगरपुर के नाम पर रखा गया था।


डूंगरपुर की स्थापना

डूंगरपुर का इतिहास (History of dungarpur) 14वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है।

यह क्षेत्र पहले भीलों का अधिवास था और इसे ‘डूंगरिया’ नामक भील सरदार के नाम पर जाना जाता था।

कहा जाता है कि रावल वीर सिंह देव ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और डूंगरिया को परास्त कर 1358 ईस्वी में डूंगरपुर नगर की स्थापना की।


प्राचीन सभ्यता और ऐतिहासिक महत्व

डूंगरपुर का इतिहास प्राचीन अहार सभ्यता से जुड़ा हुआ है, जो लगभग 4000 वर्ष पुरानी मानी जाती है।

इस सभ्यता के अवशेष उदयपुर क्षेत्र में मिले हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह संस्कृति दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में फैली हुई थी।

इस क्षेत्र में मिले प्राचीन सिक्के यह दर्शाते हैं कि 181 से 353 ईस्वी के बीच यह क्षेत्र शक क्षत्रपों के अधीन था, जो ईरान और अफगानिस्तान से आए थे।

इसके बाद डूंगरपुर पर परमारों और गुहिल वंश का शासन रहा। 12वीं शताब्दी में मेवाड़ के गुहिलों ने इस क्षेत्र में अपनी सत्ता स्थापित की।


डूंगरपुर का मध्यकालीन इतिहास

डूंगरपुर का उल्लेख कई ऐतिहासिक घटनाओं में मिलता है।

महारावल वीर सिंह देव के शासनकाल के दौरान भील सरदार डूंगरिया को हराकर नगर की स्थापना की गई।

कहा जाता है कि वीर सिंह ने डूंगरिया की दो विधवाओं की याद में एक स्मारक बनवाने और नगर का नाम डूंगरपुर रखने का वचन दिया था।

16वीं शताब्दी में महारावल उदय सिंह प्रथम ने ‘वागड़’ क्षेत्र को दो भागों में विभाजित किया, जिसमें पश्चिमी भाग डूंगरपुर बना और पूर्वी भाग बांसवाड़ा के रूप में स्थापित हुआ।

1529 ईस्वी में दोनों रियासतें स्वतंत्र हो गईं।


डूंगरपुर और मुगल शासन

महारावल असकरण के शासनकाल में मुगलों का आगमन हुआ।

इस दौरान अकबर स्वयं इस क्षेत्र में आए और असकरण ने मुगल सत्ता को स्वीकार किया।

महारावल पुंजराज को शाहजहाँ द्वारा ‘महीमारातिब’ और ‘डेढ़हजारी मनसब’ की उपाधि दी गई।


ब्रिटिश काल और आधुनिक डूंगरपुर

ब्रिटिश शासन के दौरान महारावल जसवंत सिंह द्वितीय ने 11 दिसंबर 1818 को ब्रिटिश सरकार के साथ एक संधि की:

जिसके तहत 17,500 रुपये की वार्षिक कर राशि निर्धारित की गई।

महारावल उदय सिंह द्वितीय ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों का समर्थन किया।

1948 में, डूंगरपुर राजस्थान के अन्य राज्यों के साथ विलय कर एक जिला बन गया।


डूंगरपुर का सांस्कृतिक और प्राकृतिक सौंदर्य

डूंगरपुर प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़ियों, झीलों और ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध है।

गैबसागर झील, जो 15वीं शताब्दी में बनाई गई थी, आज भी इस नगर की शोभा बढ़ाती है।

इसके अलावा, उदय बिलास पैलेस, जूना महल और बेणेश्वर धाम जैसे स्थल यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search

About

Welcome to DungarpurCity where we share information related to Local tourism website. We’re dedicated to providing you the very best information and knowledge of the above mentioned topics.

We hope you found all of the information on DungarpurCity helpful, as we love to share them with you.