डूंगरपुर जिले के सीमलवाड़ा पंचायत समिति के गांव खरपेड़ा के अंतिम छोर और गुजरात की सीमा पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर अपनी प्राचीनता और धार्मिक मान्यताओं के लिए विख्यात है। यह मंदिर भगवान शिव के एक अनूठे रूप, नीलकंठ महादेव, को समर्पित है, जिन्हें यहां जनेऊ पहने हुए देखा जा सकता है। मंदिर की स्थापना और इसके महत्व के बारे में कई किवदंतियां और कहानियां प्रचलित हैं, जो इसे धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थल बनाती हैं।

पौराणिक मान्यताएं और ऐतिहासिक किवदंतियां

नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान यहां पूजा-अर्चना की थी। इसी प्रकार, महाभारत काल में पांडवों ने भी अपने अज्ञातवास के दौरान इस पवित्र स्थल पर भगवान शिव की आराधना की थी। इन मान्यताओं के कारण यह मंदिर भक्तों के बीच विशेष श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।

मंदिर का स्थापत्य और प्राकृतिक छटा

जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर, सीमलवाड़ा मुख्य मार्ग पर करावाड़ा गांव में स्थित इस मंदिर की प्राकृतिक छटा और अद्भुत वास्तुकला इसे और भी आकर्षक बनाती है। मंदिर के आसपास का क्षेत्र जंगलों से घिरा हुआ है, और यह द्रोही नदी के किनारे स्थित है, जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देती है। नीलकंठ महादेव का शिवलिंग यहां स्वयंभू रूप में स्थापित है, जो हजारों साल पुराना है और जनेऊ धारण किए हुए है।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

मंदिर के पुजारी, महंत अखिल भारतीय निर्मोही अखाड़े के राम कैलाश दास के अनुसार, इस मंदिर पर मोहम्मद गजनवी ने भी आक्रमण किया था। एक किवदंती यह भी है कि जब शिवलिंग खंडित हुआ था, तब उसमें से रक्त की धारा बह निकली थी, जिससे भयभीत होकर सभी लोग वहां से भाग गए थे। मंदिर के पास स्थित धूणी में रानी विक्टोरिया के जमाने के सिक्के भी प्राप्त हुए थे, जो आज भी मंदिर में सुरक्षित रखे हुए हैं।

त्योहार और धार्मिक आयोजन

नीलकंठ महादेव मंदिर में श्रवण मास और शिवरात्रि के दौरान विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान के हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर में नियमित रूप से रुद्र और महारुद्र जैसे धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं, जो इसे धार्मिक उत्साह से भरपूर रखते हैं।

मंदिर की यात्रा का महत्व

नीलकंठ महादेव मंदिर का दौरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक प्राकृतिक स्थल के रूप में भी अद्वितीय है। यहां की शांत और पवित्र वातावरण, मंदिर की प्राचीनता, और इसके चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता, भक्तों और पर्यटकों को आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून प्रदान करती है।

नीलकंठ महादेव मंदिर डूंगरपुर जिले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ आते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस मंदिर की प्राचीनता, किवदंतियां, और प्राकृतिक छटा इसे डूंगरपुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी बनाती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *