पादरड़ी बड़ी गांव में स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर अपनी स्थापना की रोचक कथा और धार्मिक महत्व के कारण वागड़ क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर न केवल अपने खंडित शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

मंदिर की स्थापना की रोचक कथा

यह कहानी 1880 ईसवीं की है जब गांव के भट्ट मेवाड़ा ब्राह्मण समाज के देवनाथ भट्ट ने अपने घर का निर्माण करने का निर्णय लिया। घर की नींव खोदने के दौरान, अचानक गैंती की नोक एक पत्थर से टकराई और वहां से रक्त की धारा बहने लगी। इस घटना ने गांव वालों को चकित कर दिया और इसे ईश्वरीय चमत्कार के रूप में देखा गया। देवनाथ भट्ट ने इस घटना की जानकारी गांव के लोगों को दी, और तब से इस स्थान को शिवलिंग के रूप में पूजा जाने लगा। शिवलिंग पर आज भी गैंती के निशान देखे जा सकते हैं, जो इस अद्वितीय घटना की याद दिलाते हैं।

खंडित शिवलिंग और इसकी पूजा

खंडित शिवलिंग वाले इस मंदिर को सोमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का नाम ‘सोमेश्वर’ भी इसी शिवलिंग के कारण पड़ा। इस मंदिर के चारों ओर के श्रद्धालु इसे चमत्कारिक मानते हैं और यहां पर पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस स्थान पर प्रारंभ में एक झोपड़ी बनाई गई थी, लेकिन समय के साथ यह मंदिर वागड़ में प्रसिद्ध हो गया और एक भव्य मंदिर का रूप ले लिया।

मंदिर का भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व

सोमेश्वर महादेव मंदिर गांव के बीचोंबीच स्थित है, जबकि अधिकांश शिवालय गांव के बाहर नदी या सरोवर के तट पर स्थापित होते हैं। दशकों पहले माही नदी इस शिवालय के पास से बहती थी, लेकिन अब इसकी धारा मंदिर से लगभग एक किलोमीटर दूर हो गई है। इसके बावजूद, यह स्थान अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में औदिच्य ब्राह्मण समाज की बस्ती बसने लगी और मंदिर गांव के बीच में स्थापित हो गया।

चार धाम चौक का महत्व

सोमेश्वर महादेव मंदिर के पास ही विशाल जिनालय है, और पूर्व दिशा में जागृत देव हनुमानजी का मंदिर स्थित है। इसके अलावा, यहां पुरोहितों की कुलदेवी मां अंबा का मंदिर और वरई माता के मंदिर की धर्मध्वजा भी लहरा रही है। इन धार्मिक स्थलों के समूह को ‘चार धाम चौक’ कहा जाता है, जो इस क्षेत्र का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है।

महाशिवरात्रि और अन्य धार्मिक आयोजन

श्रावण मास में वर्ष 1975 श्रावण सुदी 13 (त्रयोदशी) के दिन पादरड़ी बड़ी के सोमेश्वर महादेव मंदिर की शिखर प्रतिष्ठा हुई। मंदिर के जीर्णोद्धार में भाग्यराम पुरोहित, कृष्णलाल पुरोहित, लीलाराम जोशी, मेहता, डायालाल कुबेर भाभा सेवक, रूपजी भाई, और कुबेर पटेल जैसे व्यक्तियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मंदिर की देखरेख और जीर्णोद्धार के लिए गांव के लोगों द्वारा सोमनाथ ट्रस्ट की स्थापना की गई है। प्रतिवर्ष श्रावण मास में पंडितों द्वारा रुद्राभिषेक और शिवरात्रि पर विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। शिवरात्रि के दिन रात्रि के चारों प्रहरों में महा पूजा होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।

मंदिर तक कैसे पहुंचे

सोमेश्वर महादेव मंदिर तक पहुँचने के लिए आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। पादरड़ी बड़ी गांव तक राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ी सड़कों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन से बस और टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध है।

सोमेश्वर महादेव मंदिर न केवल अपनी अनोखी स्थापना कथा के लिए बल्कि इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी विशेष है। यह स्थान श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव प्रदान करता है। यदि आप वागड़ क्षेत्र की यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें और इसके आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व का अनुभव करें।

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