डूंगरपुर जिले के मोरन नदी के तट पर स्थित श्री गुजरेश्वर महादेव शिवालय, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पाड़ली गुजरेश्वर और सांसरपुर की सीमा पर स्थित इस मंदिर की स्थापना गुर्जर प्रतिहार वंश द्वारा की गई थी। इस शिवालय को श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की उपमा दी जाती है, और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिर की धार्मिक महत्ता को दर्शाती है।
गुर्जर प्रतिहार वंश और गुजरेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास
हालांकि गुजरेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना के बारे में कोई स्पष्ट ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं हैं, लेकिन मंदिर के बाहर और भीतर स्थापित शिलालेखों के अनुसार, इसका निर्माण गुर्जर प्रतिहार वंश के शासनकाल में कराया गया था। यह मंदिर सिरोही, जालौर और मालवा में राजा भोज के समय का है, जो इस वंश के धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान को दर्शाता है।
इस मंदिर का नाम गुजरेश्वर महादेव इसलिए पड़ा, क्योंकि गुर्जर प्रतिहार वंश ने इस क्षेत्र में मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर के मुख्य पुजारी श्री त्रिकमनाथ भट्ट थे, जिनके बारे में मान्यता है कि जब वे पूजा करते थे, तब स्वयं भगवान शिव हुंकार भरते थे। त्रिकमनाथ भट्ट की धर्मपत्नी सती हो गई थीं, और उनकी समाधि आज भी मंदिर परिसर में स्थित है।
कल्पवृक्ष का अद्वितीय जोड़ा: मनोकामनाओं की पूर्ति का प्रतीक
मंदिर परिसर में कल्पवृक्ष (नर और मादा) का एक जोड़ा स्थापित है, जिसकी परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह वृक्ष श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है और यहां आने वाले भक्त इसे विशेष श्रद्धा से पूजते हैं। इस तरह का अनूठा धार्मिक प्रतीक अन्यत्र कहीं नहीं मिलता, जो इस मंदिर को और भी विशिष्ट बनाता है।
मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गुजरेश्वर महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व केवल इसकी प्राचीनता और इतिहास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज भी श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। मंदिर परिसर में हनुमान जी का भी एक मंदिर स्थित है, जो इस स्थल की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ाता है। वागड़ के शिव मंदिरों में गुजरेश्वर महादेव जी को श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की उपमा दी गई है, जो इसे विशेष श्रद्धा का केंद्र बनाता है।
भव्य मेले और धार्मिक आयोजन
श्रावण मास के दौरान और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। इसके अलावा, भाद्रपद मास के दूसरे रविवार को भी यहां मेला लगता है, जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है।
प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण
मोरन नदी के किनारे स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। मंदिर के आसपास का क्षेत्र हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुकून प्रदान करता है।
श्री गुजरेश्वर महादेव मंदिर न केवल डूंगरपुर जिले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यहां की धार्मिक मान्यताएं, कल्पवृक्ष की विशेषता, और भव्य मेले इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। इस मंदिर की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अनुभव है, जो उन्हें धार्मिक आस्था के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी देती है।