Surpur Mandir Dungarpur । सुरपुर मंदिर, डूंगरपुर
सुरपुर मंदिर, डूंगरपुर (Surpur Mandir Dungarpur) एक प्राचीन धार्मिक स्थान है, जो डूंगरपुर के सबसे प्रसिद्ध और पुराने स्थलों में से एक है।
मंदिर की निर्माण कला
सुरपुर मंदिर की कलात्मक वास्तुकला अनुकरणीय है और डूंगरपुर की ऐतिहासिक छवियों को दर्शाती है।
पुराने मंदिरों का यह अद्भुत संग्रह पुरानी कला का वास्तविक रूप है।
सुरपुर मंदिर डूंगरपुर से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुरपुर गांव में गंगदी नदी के किनारे स्थित है।
माधवनाथजी मंदिर:
डूंगरपुर जिले के सुरपुर गाव में स्थित श्री माधवनाथजी का मंदिर एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है।
यह मंदिर अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है और भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
श्री माधवनाथजी की कथा:
श्री माधवनाथजी एक महान संत थे जिनका जीवन साधना, तपस्या और सेवा के लिए समर्पित था।
उन्होंने ईंटगढ़ को अपनी साधना स्थली बनाया और यहाँ पर भव्य मंदिर की स्थापना की गई।
उनके अनुयायियों का मानना है कि यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है और यहाँ आने से शांति की अनुभूति होती है।
मंदिर का निर्माण और स्थापना वर्ष
श्री माधवनाथजी मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1868 में शुरू हुआ था।
लगभग 133 वर्ष पूर्व इस मंदिर को स्थापित किया गया, जो आज भी वैभव और शांति का प्रतीक बना हुआ है।
वर्ष 1933 में महारावल लक्ष्मण सिंहजी ने ईंटगढ़ क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनाई और वहाँ उदयविलास पैलेस का निर्माण कार्य भी प्रारंभ करवाया।
इससे पहले वर्ष 1917 में नये ग्राम “ईंटगढ़” को बसाया गया, जिसमें श्री माधवनाथजी के मंदिर को प्रमुखता दी गई।
इसके बाद यहाँ स्कूल, कुएँ, बावड़ी और अनेक भवनों का निर्माण हुआ।
मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं जो पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिकता से सराबोर कर देते हैं।
इस मंदिर का शिल्पकला और वास्तुकला भी देखने योग्य है, जो पारंपरिक शैली को दर्शाता है।
मंदिर की वास्तुकला अत्यंत सुंदर और भव्य है। परिसर में श्री गणेशजी, श्री हनुमानजी, श्री भैरवनाथजी, श्री कालभैरवजी, श्री गोपालजी, श्री कृष्ण-राधा, श्री राम-लक्ष्मण-जानकी के मंदिर भी निर्मित हैं।
मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी और पत्थरों का कार्य विशेष आकर्षण का केंद्र है।
घाट और प्राकृतिक सुंदरता
मंदिर के निकट स्थित प्राकृतिक और आकर्षक घाट इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।
यहां का शांत और सुंदर वातावरण आपको मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान करता है।
भ्रमण के लिए उत्तम समय
सुरपुर मंदिर भ्रमण के लिए आप अपने परिजनों एवं दोस्तों के साथ दिन में किसी भी समय आ सकते हैं।
डूंगरपुर के चुनिंदा पर्यटक स्थलों में सुरपुर मंदिर प्रसिद्ध है।
यह मंदिर कई पुराने मंदिरों का मिश्रण है, जिनका निर्माण कई सदियों पहले किया गया था।
लेकिन आज भी यह पुराने समय की विरासत को बरकरार रखे हुए है।
सुरपुर मंदिर, डूंगरपुर (Surpur Mandir Dungarpur) न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है।
यहां की वास्तुकला, शिलालेख, और अन्य आकर्षण इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं।
अपनी अगली यात्रा पर सुरपुर मंदिर अवश्य जाएं और इसके अद्भुत सौंदर्य और इतिहास का आनंद लें।
सुरपुर मंदिर, डुंगरपुर तक कैसे पहुंचे: Click to get Google Map direction for Surpur Mandir.
सड़क मार्ग से: सूरपुर मंदिर, डुंगरपुर के 3 किमी सुरपुर गांव में स्थित है, यहाँ आसानी से पहुंच सकते है।
डूंगरपुर के अन्य प्रमुख और प्राचीन मंदिरों की यात्रा
सिर्फ सुरपुर मंदिर ही नहीं, डूंगरपुर जिले में कई ऐतिहासिक और आस्था से जुड़े मंदिर हैं।
जिन्हें आप एक साथ यात्रा में शामिल कर सकते हैं।
ये मंदिर न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थापत्य कला और इतिहास की दृष्टि से भी अत्यंत विशेष हैं।
देवसोमनाथ मंदिर – पत्थरों से बना अद्भुत शिव मंदिर
देवसोमनाथ मंदिर, डूंगरपुर जिले के ऊदईपुर मार्ग पर सोम नदी के किनारे स्थित है।
इसकी विशेषता यह है कि पूरे मंदिर का निर्माण बिना चूने और सीमेंट के केवल पत्थरों को जोड़कर किया गया है।
- यहाँ भगवान शिव की पूजा होती है।
- महाशिवरात्रि पर यहाँ विशाल मेला भरता है।
- प्राचीन मूर्तिकला और शिवलिंग इस स्थल को अद्वितीय बनाते हैं।
श्रीनाथजी मंदिर, गैप सागर:
गैप सागर झील के पास स्थित श्रीनाथजी मंदिर एक सुंदर और पवित्र स्थल है
- यह मंदिर नाथद्वारा की परंपरा को दर्शाता है।
- झील के किनारे स्थित यह मंदिर सूर्यास्त के समय बहुत ही रमणीय दृश्य प्रस्तुत करता है।
- यहाँ नियमित पूजा-अर्चना और त्योहारों पर विशेष आयोजन होते हैं।
यदि आप आध्यात्मिक शांति, वास्तुशिल्प का सौंदर्य और राजस्थान की प्राचीन संस्कृति को करीब से देखना चाहते हैं, तो डूंगरपुर के मंदिरों की यात्रा आपके लिए एक अमूल्य अनुभव साबित होगी।
यहाँ के मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, आस्था और शांति का संगम हैं।
नोट: आप इन मंदिरों की यात्रा सूरज डूबने से पहले करें, ताकि आपको प्रत्येक मंदिर की सुंदरता, आसपास का प्राकृतिक दृश्य और झीलों की झलक एक साथ देखने का अवसर मिल सके।
Click to know about: देवसोमनाथ मंदिर, डूंगरपुर l DevSomnath Mandir Dungarpur
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